दोस्तों आज के टाइम में लोग बहोत सरे बिजनेस कर रहे है । और हर कोई अपना खुद का कोई न कोई छोटा या बड़ा बिजनेस करके पाने कमाई शरू करना चाहता है । आज हम आपको ऐसी ही एक बिजनेस के बारे में बताने वाले है की आप अपना खुद का Hospital भारत में कैसे शरू करे – अपना करिअर बनाये तो चलिए शरू करते है ।
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सबका मै हु आपका दोस्त पियूष और आज के इस लेख में आपको अपना खुद का Hospital कैसे शरू करे ? इस के बारे में बताने वाला हु और इसकी क्या प्रोसेस है चलिए जानते है |
जीने के लिए जो जरूरी चीजें हैं उनकी अहमियत हमेशा बनी रहती है जैसे कि खाना , पढ़ाई , मेडिकल फैसिलिटी वगैरह। इसीलिए कोरोना के दौरान भी जब विस्तृत लोकडाउन लगा हुआ था तब ग्रोसरी , सब्जी की दुकान , टेडी सैंडर्स को डिलिवरी जैसी चीजें खुली थीं।
स्कूल कॉलेज बंद थे पर ऑनलाइन पढ़ाई हो रही थी और लोगों के इलाज के लिए मेडिकल सर्विसेस चौबीसों घंटे चालू थी। डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ काम कर रहे थे हॉस्पिटल और मेडिकल स्टोर्स खुले थे। अमीर हो या गरीब हर किसी को बीमारी से बचने के लिए इलाज के लिए हॉस्पिटल तो जाना ही पड़ता है तो बढ़ती डिमांड और एडवांस होती मेडिकल ट्रीटमेंट के चलते लोगों तक सारी सुविधाएं पहुंचाने के लिए अब ज्यादा से ज्यादा हॉस्पिटल और नर्सिंग होम्स खुल रहे हैं।
इनमें गर्वमेंट और प्राइवेट दोनों ही होते हैं और आज हम आपको बताएंगे कि प्राइवेट Hospital कैसे खोला जाता है।
1 .Hospital के लिए लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन।
सबसे पहले जरूरी है लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन। एक Hospital स्टैब्लिश करने के लिए लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन चाहिए वो हैं रजिस्ट्रेशन क्लाइमेट इस्टैब्लिशमेंट ऐक्टिव 20217 ।
सेंट्रल गवर्मेंट का बनाया हुआ ऐड जिसे देश के सभी राज्यों ने अपनाया हुआ है एक वनटाइम रजिस्ट्रेशन है जो Hospital चलाने के लिए जरूरी है और जिस भी राज्य में Hospital खोला जा रहा है वहां की स्टेट गवर्मेंट से ये रजिस्ट्रेशन लेनी पड़ती है। हॉस्पिटल जिस भी कैटिगरी में रजिस्टर होगा उसकी सभी जरूरतें पूरी करनी होती हैं।
दूसरा है रजिस्ट्रेशन और कंपनीज एक्ट 2013। इसकी जरूरत तब पड़ती है जब कोई कंपनियां कॉरपोरेशन Hospital बनाना चाहे कॉरपोरेट हाउस को तब मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन आर्टिकल एसोसिएशन कैपिटल स्ट्रक्चर कमिशन सिक्योरिटीज अलॉटमेंट एकाउंट ऑडिट जैसी चीजों के लिए कंपनीज एक्ट का रजिस्ट्रेशन जरूरी होता है। डायरेक्टर इंडेक्स नंबर की बात करे हॉस्पिटल या नर्सिंग होम को चलाने के लिए जितने डॉक्टर अप्वाइंट किए जाएंगे उनका अपना DIN यानी इंडेक्स नंबर चाहिए होता है जिसे मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स गवर्मेंट इंडिया से लेना होता है।
DIN लेना मेडिकली होता है अनिवार्य होता है और यह सिर्फ वन टाइम होता है।
इसके रजिस्ट्रेशन सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट 2001 न की बात करें तो अगर Hospital या मेडिकल इंस्टिट्यूट को किसी सोसाइटी की ओनरशिप में खोला जा रहा है तब सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट 2001 के अंडर रजिस्ट्रेशन लेना पड़ता है।
अगला है FSSAL लाइसेंस और ऑपरेटिंग अकिंचन यानी कि आमतौर पर लगभग सभी Hospital और नर्सिंग होम्स में किचन या कैंटीन की सुविधा रहती है ताकि इलाज के दौरान पेशंट को खाना दिया जा सके। इसके लिए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया से परमिशन लेनी पड़ती है और अब आता है |
2 . Hospital के लिए फार्मेसी रजिस्ट्रेशन।
कई बार Hospital में ही आपको मेडिकल स्टोर्स दिख जाते हैं। इसके लिए फार्मेसी रजिस्ट्रेशन लगती है या फिर किसी थर्ड पार्टी वेंडर जिसके पास पॉलिसी का लाइसेंस होता है उनको हॉस्पिटल मैनेजमेंट अपने प्राइसेज में दवा की दुकान खोलने की परमिशन दे देता है।
इनके अलावा भी सर्टिफिकेशन रजिस्ट्रेशन और Hospital विथ म्युन्सिपल कॉरपोरेशन इंडियन मेडिकल काउंसिल ऐक्ट 2002 रजिस्ट्रेशन ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन , ऐम्बुलेंस रजिस्ट्रेशन हॉस्पिटल की सिक्योरिटी के लिए लाइसेंसिंग और आम अंडर आर्म्स ऐक्ट 1959 लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन ट्रांसपोर्टेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन ऐक्ट 1994 में भी रजिस्टर करवाना पड़ता है और इसके साथ मेन Hospital की लोकेशन भी किसी भी हॉस्पिटल की लोकेशन ऐसी होनी चाहिए जहां से वो पब्लिक की पहुंच में हों या फिर किसी ऐसे टाउन या शहर में हों जहां से आसपास के एरिया के लिए भी वो ज्यादा दूर ना हो आबादी अच्छी हो।
ट्रांसपोर्ट फैसिलिटी रोड और रेल कनेक्टिविटी सही हो साथ ही लोगों की पानी की कंडिशन भी बेहतर हो क्योंकि प्राइवेट हॉस्पिटल्स या नर्सिंग होम्स के फ़ीस थोड़ी ज्यादा होती है। अगर हॉस्पिटल के लिए जमीन ली जा रही है तो ये देखना भी जरूरी होता है कि वो एग्रीकल्चर की जमीन है या नहीं।
वहां इलेक्ट्रिसिटी वॉटर सप्लाई अच्छी हो। साथ ही Hospital के पास अच्छी पार्किंग फैसिलिटी भी होनी चाहिए।
3 .Hospital के लिए फैसिलिटी सर्विसेज
अब बारी आती है फैसिलिटी सर्विसेज की। किसी भी Hospital में जब कोई अपना इलाज करवाने जाता है तो सबसे पहले ये देखता है कि वहां डॉक्टर स्पेशलाइज्ड मेडिकल फैसिलिटी क्या क्या है और उनका ट्रैक रिकॉर्ड कैसा है। मतलब वहां लोगों का इलाज कैसा है Hospital का इलाज कितना भरोसेमंद है वगैरह वगैरह।
उसी हिसाब से लोग वहां पर पहुंचते हैं। इसीलिए कोई नया Hospital खोलते समय ये सुनिश्चित करना जरूरी है कि आप लोगों को कितनी बेहतर सर्विस देने की कमिटमेंट कर रहे हैं। उसी हिसाब से आपको डॉक्टर्स , मेडिकल स्टाफ , नर्सिंग स्टाफ ओपीडी , एण्टी , जनरल वॉर्ड , मशीन्स ऑपरेशन फैसिलिटी X-RE , MRI , पैथोलॉजी सेंटर टेस्टिंग सेंटर्स वगैरह रखने पड़ेंगे।
अगर कोई स्पेशियलिटी के साथ आगे बढ़ रही है जिसे ऑन्कोलॉजी सेंटर तो आपके पास वो सारी सुविधा होनी चाहिए ताकि पेशेंट्स को कहीं और ना जाना पड़े। इसके अलावा भी लिफ्ट , ऐसी रूम , वाटर इलेक्ट्रिसिटी , पावर बैकअप एम्बुलेंस सर्विस , मेडिकल स्टोर , ब्लड बैंक जैसी चीजें एक Hospital के स्टैंडर्ड को हाई रखती हैं और इनकी साफ सफाई भी बहुत जरूरी है। Hospital मैनेजमेंट को। ये भी ध्यान देना होता है कि डॉक्टर और स्टाफ मरीजों से अच्छा बर्ताव करें।
इससे रेपुटेशन अच्छी बनती है। इस तरीके से Hospital बनाने के साथ साथ उसकी मेंटेनेंस भी उतनी ही जरुरी है ताकि कोई भी दिक्कत ना हो। क्योंकि अक्सर सरकारी Hospital की खराब सर्विस के चलते ही लोग प्राइवेट सर्विस लेने पहुंचते हैं।
इसलिए लिफ्ट सही से चलती रहे। ऐम्बुलेंस की कमी ना पड़े , ब्लड की शॉर्टेज ना पड़े। मेडिकल इक्विपमेंट सही से काम करे। दवाइयां मौजूद रहे पावर कट ना हो। ऑक्सीजन सिलिंडर की कमी ना हो। हर डिपार्टमेंट में डॉक्टर्स मौजूद रहें। सिक्योरिटी अच्छी होने से ढ़ेर सारी चीजें की पाट्र्स होती है। मेंटिनेंस के बाद वे बात करते हैं।
4 .बायोमेडिकल वेस्ट कहा डिस्पोज करे
बायोमेडिकल वेस्ट की इलाज के बाद निकले मेडिकल कचरे को बायोमेडिकल वेस्ट कहा जाता है। इनको सही से डिस्पोज करने के लिए आपके पास अच्छी सुविधा होनी चाहिए। इन्हीं सेफ्ली शहर से बाहर ले जाने के लिए या कचरा डंपिंग यार्ड तक पहुंचाने के लिए गाड़ी होनी चाहिए या फिर म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन के सौदा कटाई हो ताकि नगर निगम की गाड़ी आए और उन्हें हर रोज़ ले जाए। क्यूंकि बायो मेडिकल वेस्ट से इन्फेक्शन और बीमारियां फैलने का रिस्क बहुत ज्यादा होता है।
5 . डिजिटल पेमेंट फैसिलिटी और कैशलेस की सुविधा।
अब बात करते हैं डिजिटल पेमेंट फैसिलिटी और कैशलेस की सुविधा। आजकल हर कहीं डिजिटल पेमेंट एक्सेप्ट होता है। इसलिए हॉस्पिटल्स में गूगल पे , पेटीएम या , डेबिट , क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करने की सुविधा होनी चाहिए। चूंकि लोग इतना सारा कैश लेकर जेब में तो घूमेंगे नहीं। इसलिए अगर आपका Hospital कैशलेस फैसिलिटी दे रहा है तो ज्यादा लोग इलाज करवाने पहुंचेंगे क्योंकि जॉब करने वाले लोगों को उनकी कंपनी मेडिकल इंश्योरेंस देती है और साथ लोग पर्सनल मेडिकल इंश्योरेंस भी रखती हैं इसलिए खुद को कैशलेस फैसिलिटी सर्विस प्रोवाइडर की तरह रजिस्टर करवा लीजिए या मेडिकल इंश्योरेंस देने वाली कंपनी से टाईअप करवा लेना चाहिए।
6 . फायर सेफ्टी की एनओसी
अब बात करते हैं फायर सेफ्टी की एनओसी आग लगने जैसे इंसिडेंट्स कहीं भी हो सकते हैं। अक्सर ऐसी चीजें वहां पर होती हैं जहां पर इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट ज्यादा होते हैं और शॉर्ट सर्किट हो जाए तो आग लग जाती है। इसलिए बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन करवाते समय ही उसमें आग बुझाने वाला सिस्टम लगवा लेना चाहिए। अगर खर्चा कम करवाने की सोचकर के ऐसा नहीं करवाते हैं तो बाद में हो सकता है कि आप पर गवर्मेंट की तरफ से जुर्माना लगाया जाए या फिर कोई इंसीडेंट हो जाए तो हॉस्पिटल की इमेज खराब होगी और हो सकता है कि आपका Hospital सील कर दिया जाए।
साथ ही बिल्डिंग में जगह जगह फायर एक्सटिंग्विशर होना चाहिए ताकि आग पर काबू पाया जा सके। इसके अलावा हॉस्पिटल की बनावट ऐसी होनी चाहिए ताकि किसी भी एमरजेंसी सिचुएशन जैसे कि आग लगने बाढ़ आने या भूकंप होने पर अफरा तफरी ना मचे लोगों को आसानी से रेस्क्यू किया जा सके। तो इन सारी बातों के साथ हम और कुछ छोटी छोटी बातों पर ध्यान दें तो साइन बोर्ड्स बहुत ही इम्पॉर्टेंट है।
जब भी कोई मरीज या उसके रिलेटिव्स Hospital में पहुंचते हैं तो उनको हॉस्पिटल में आने जाने के लिए कोई दिक्कत ना हो। लोग कन्फ्यूज ना हो इसके लिए जगह के सही से साइन बोर्ड लगे होने चाहिए ताकि किसी से बिना पूछे भी लोग हॉस्पिटल में जरूरी जगह पर आ जा सकें। साथ ही एमरजेंसी नंबर्स , नो स्मोकिंग , साइलेंस प्लीज़ , साइलेंट मोबाइल कीवियों शूट आउट , ओपीडी पार्किंग लिफ्ट की ट्रेक्शन पैथोलॉजी लैब जैसे जितने भी डिपार्टमेंट्स होते हैं और प्राइसेज होते हैं उनकी सही डायरेक्शन होनी चाहिए।
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